बाल विकास का अर्थ एवं परिभाषा बाल
विकास का अर्थ, बाल विकास की परिभाषा
1.बाल का अर्थ (Meaning of Child)
बाल या बालक से तातपर्य हम
लोग 12 वर्ष तक के बच्चों से लगाते हैं। पर बाल विकास में गर्भावस्था (Conception) से लेकर
युवावस्था या परिपक्वास्था से लगाते हैं। इसमे ऐसे बालक आते हैं जिनमे विकास के साथ-साथ रचनात्मक परिवर्तन भी होते हैं
विकास
का अर्थ (Meaning
of Development)
विकास प्राणी में पाई जाने
वाली उस स्वाभाविक प्रक्रिया को कहते हैं जिसमे प्राणी में गर्भाधान से लेकर वृद्धावस्था तक अनेक क्रमिक शारीरिक व मानसिक
परिवर्तन होते हैं।
विकास को तीन भागों में बांटा गया है- उतपत्ति (Origin),
वृद्धि (Growth), एवं अपकर्ष (Fall).
मानव जीवन में होने वाले
परिवर्तनों का क्रम ही विकास कहलाता है। (A sequence of Changes).
बाल
विकास की परिभाषाएं (Definition Of Child Development)
यहाँ बाल विकास की पांच
परिभाषाएं दी जा रही हैं।
जेम्स ड्रेवर के अनुसार बाल विकास की परिभाषा
बाल मनोविज्ञान मनोविज्ञान की वह शाखा है
जो प्राणी विकास का अध्ययन जन्म से परिपक्वास्था तक करती है।
क्रो एंड क्रो के अनुसार बाल विकास की परिभाषा
बाल मनोविज्ञान वह विज्ञान है जो व्यक्ति
के विकास का वैज्ञानिक अध्ययन गर्भकाल से किशोरावस्था तक करता है।
गैरिसन एवं अन्य के अनुसार बाल मनोविज्ञान की परिभाषा
बाल मनोविज्ञान का प्रत्यक्ष सम्बन्ध बाल
व्यवहार से है।
स्किनर के अनुसार बाल विकास की परिभाषा (Definition of child development)
बाल मनोविज्ञान, बालक के व्यवहार एवं
अनुभव का विज्ञान है।
मुनरो के अनुसार बाल विकास की परिभाषा
“परिवर्तन श्रंखला की उस
अवस्था को जिसमें बालक प्रौढ़ावस्था से लेकर प्राण अवस्था तक गुजरता है ,विकास कहा जाता है।”
बाल
विकास के उद्देश्य ( Aims of child development )
1.बाल विकास के अंतर्गत
शिक्षक को इस बात का ज्ञान कराया जाता हैं। कि बालक की अंर्तनिहित शक्तियों का विकास कैसे हो।
2.बाल विकास के माध्यम से
ही बालक का चहुमुखी विकास किया जाता हैं।जिससे बालक का व्यक्तित्व निखारा जा सके।
3.बालविकास का प्रमुख
उद्देश्य बालक की अंतर्निहित शक्तियों का विकास कर उसे कुशल नागरिक बनाना हैं।
4.बाल विकास का मुख्य
उद्देश्य बालक का शारीरिक , मानसिक और सामाजिक विकास करना
है। ताकि वह आगे चलके राष्ट्र की प्रगति
में सहायोग कर सके।
5.बालविकास का उद्देश्य
बालक केजीवन मे आने वाली विभिन्न प्रकार की कठिनाइयों को दूर करना हैं। ताकि बालको एक सर्वांगीण विकास संभव हो सके।
बाल
विकास के क्षेत्र ( Scope of child development)
बल विकास के अंतर्गत निम्नलिखित क्षेत्र
हैं।
1.शारीरिक विकास ।
2.मानसिक विकास ।
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1.संवेगात्मक विकास ।
2.सामाजिक विकास ।
3.चारित्रिक विकास ।
4.भाषा विकास ।
5.सृजनात्मकता का विकास।
शारीरिक विकास ( Physical development) –
बाल विकास के अंतर्गत बालक के
भ्रूणावस्था से लेकर बाल्यावस्था के विकास का अध्ययन किया जाता है।और यह देखा जाता है कि बालक है, यदि शारीरिक विकास उचित
क्रम में नहीं हो रहा। तो उनको कारणों को
जानने का प्रयास किया जाता है और उनको दूर किया जाता है।
मानसिक विकास ( Mental development)
बालको के मानसिक विकास का अध्ययन भी बाल
विकास के अंतर्गत आता है।इसके अंतर्गत बालकों की
क्रियाओ एवं संवेगों का अध्ययन किया जाता है।क्योंकि हम यह देखते हैं कि
बालक में अनेक प्रकार के परिवर्तन होते
हैं।जो कि मानसिक विकास को प्रकट करते है। जैसे – वस्तुओं पकड़ना विभिन्न
प्रकार की आवाज करना।
संवेगात्मक विकास (Emotinal development )
–
बालकों के विभिन्न संवेगों संबंधित
गतिविधियों का अध्ययन भी बाल विकास के अंतर्गत आता है।संवेगात्मक विकास के अंतर्गत संवेग उत्तेजना
पीड़ा आनंद क्रोध परेशानी प्रेम आदि का अध्ययन किया जाता है।
सामाजिक विकास – सामाजिक विकास के अंतर्गत
बालकों के सामाजिक व्यवहार का अध्ययन किया
जाता है।सामाजिक व्यवहार के अंतर्गत परिवार के सदस्यों को पहचानना, उनके प्रति क्रोध एवं प्रेम की
प्रतिक्रिया व्यक्त करना ,परिचित से प्रेम तथा आने से
भयभीत होना एवं बड़े अन्य व्यक्तियों के कार्य में सहायता देना आदि को शामिल किया जाता है।
चारित्रिक विकास (Character development)
इसके अन्तर्गत बालकों के शारीरिक अंगों
के प्रयोग, सामान्य नियमों के ज्ञान, अहंभाव की प्रबलता,
आज्ञा पालन की प्रबलता,
नैतिकता का उदय एवं कार्यफल के प्रति चेतनता की भावना आदि को
सम्मिलित
किया जाता है।
इस प्रकार आयु वर्ग के अनुसार चरित्रगत
गुणों का विकास होना बालको के सन्तुलित चारित्रिक विकास का द्योतक माना जाता है। इसके विपरीत स्थिति को
उचित नहीं माना जा सकता है।
भाषा विकास (Language development)
बालकों के भाषायी विकास का अध्ययन भी बाल
विकास के अन्तर्गत आता है।
बालक अपनी आयु के अनुसार विभिन्न प्रकार
की ध्वनियाँ एवं शब्दों का उच्चारण करता है।
इन शब्दों एवं ध्वनियों का उच्चारण उचित
आयु वर्ग के अनुसार बालक के सन्तुलित भाषायी विकास की ओर संकेत करता है;
जैसे-1 वर्ष से 1 वर्ष 9 माह तक के बालक की शब्दोच्चारण प्रगति लगभग 118
शब्द के लगभग होनी
चाहिये। यदि शब्दोच्चारण की प्रगति इससे
कम है तो बालक का भाषायी विकास उचित रूप में नहीं हो रहा है।
सृजनात्मकता का विकास (Development
of creativity)
बालको की सृजनात्मकता का विकास भी बाल
विकास की परिधि में आता है।
बाल कल्पना के विविध स्वरूपों के आधार पर
सृजनात्मक विकास के स्वरूप को निश्चित किया जाता है।
बालक द्वारा विभिन्न प्रकार के खेल खेलना, कहानी सुनाना तथा
खिलौनों का निर्माण करना आदि क्रियाएँ
उसकी सृजनात्मक योग्यता को प्रदर्शित करती हैं।
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